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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए थे। उन्होंने आपस  कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई

एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप मे क्या विशेष गुण होना आवश्यक हैं

एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप मे क्या क्या गुण होना आवश्यक हैं ll 🖕🖕🖕🖕🖕🖕🖕🖕🖕🖕🖕🖕 कृपया अपना उत्तर कमेंट मे दे 

TIGER

 टाइगर को चलते हुए देखिय                                                                                        ☝☝☝☝☝☝☝☝☝☝☝☝☝☝☝

खुसरो गोत्र ,खुसरो गोत्र कैसे आया अगरिया जनजाति में

खुसरो गोत्र,  खुसरो गोत्र कैसे आया अगरिया जनजाति में  अगरिया जनजाति में खुसरो गोत्र की किवदंति को आइये जानते है की कैसे खुसरो गोत्र अगरिया जनजाति में आया।  खुसरो नाम का एक अगरिया युवक था। उसका विवाह हो रहा था बारात घर से रवाना हो गयी परन्तु लड़के वाले दूल्हादेव की पूजा करना भूल गए।  विवाह के बाद घर लौटने के बाद जब दूल्हा अपने घर की देहरी (दहलीज ) पार करना चाहता था वहा एक शेर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। शेर ने दूल्हा दुल्हिन दोनों  दबोच लिया। हर एक आदमी दोनों को बचाना चाहता था परन्तु वह सब व्यर्थ था। शेर दोनों को दबाकर ले गया। परन्तु उसी बारात में एक जादूगर भी था जो भांप गया की क्या कुछ हुआ है। चुपचाप उसने दूल्हादेव की मनौती मनाई। दूल्हादेव प्रसन्न हुये तथा उन्होंने शेर के रास्ते में प्रतीक्षा करने के लिए एक खुसेरा पक्षी  को भेज दिया। जब शेर वह पंहुचा तो पक्षी ने शेर का का सामना किया तथा दुल्हिन को बचा लिया। मगर दूल्हा पहले ही मर चूका था। उस पक्षी ने दुल्हिन को वापस घर पंहुचा  दिया। तब लोगो ने कहा जिस पक्षी ने उस लड़की की जान बचायी है उसका नाम ,उसके पति (यानी मृत लड़के )के नाम का पर्यायवाची

पोट्टा गोत्र(potta gotra)

पोट्टा गोत्र कैसे आया अगरिया जनजाति में  आइये जानते है , एक बार चार गोंड और एक अगरिया शिकार पर गए। चलते चलते उन्हे भूख लगी और वे सड़क के किनारे बैठ कर खाना बनाने लगे। गोंडो के पास थोड़ा घी था। अगरिया ने गोंडो से थोड़ा घी देने को कहा। गोंडो ने घी देने से मना कर दिया तो अगरिया को बहुत गुस्सा आया। उसने जल्दी से अपना खाना बनाया ,खाया और अकेले ही आगे चला गया। वह एक बड़ी नदी के पास पंहुचा। वह नदी के दोनों किनारो को जोड़ने वाला एक लम्बा बेल फैला हुआ था। अगरिया ने उस बेल की सहायता से से सावधानी पूर्वक नदी को पार किया और दुसरे किनारे पर पहुंच कर वह बेल (लता )को तोड़ दिया। अब गोंड भी नदी के किनारे पहुंचे। तो उन्होंने देखा की नदी पार करने वाली बेल टूटी पड़ी है।  अब वो क्या करते लेकिन जैसे तैसे एक मगर की सहायता से उन्होंने नदी को पार किया ,मगर ने उनको नदी पार कराया। नदी के पार पहुंच कर गोंड लोग अगरिया को मारना चाहते  थे। परन्तु वो अगरिया  बचाकर भाग गया और एक एक गोंड के घर छिप गया। घर का पुरुष बाहर था लेकिन अगरिया ने उसकी पत्नी को सारा किस्सा बताया तथा बचाने की गुहार लगायी याचना किया। तब गोंड की पत्नी ने