सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति के गोत्र है। किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै पुनः आप सभी के समक्ष रखने का हु।
तो आइये जानते है -
लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा हुए थे। उन्होंने आपस कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई और बाकि सबको विवाह आमंत्रित किया और वे सब हल्दी सोनवानी के मशहूर हुए।
रायपुर के गोडधुका अपने अपने गोरकु गोत्र की उत्पत्ति से सम्बंधित अपनी कहानी है -उनका कहना है की बहुत पहले कभी हमारे पूर्वज कोयला बनाने के लिए ,लकड़ी जलाने जंगल गए और उस आग की लपटों में एक घोडा मर गया ,वे अपने साथ मरे घोड़े को ले आये और सबको यह बताया की यह साँभर का मांस है। एक आदमी ने मांस का टुकड़ा उठाया और उसका स्वाद लिया। एक मित्र देखकर यह हसी उड़ाई की तुम घोड़े का मांस खा रहे हो -उसके बाद उन्होंने सारा मांस फेक दिया परन्तु जिस आदमी ने घोड़े का मांस चखा था वह आदमी गोरकु गोत्र का पूर्वज गया। इस सम्बन्ध में ऐसा भी कहावत है की गोरकु गोत्र के लोग घोड़े की सवारी नहीं करते उनके लिए वर्जित है।
ये सारी किवदंन्तिया इतिहास कारो द्वारा लेख किया जा चूका है जिसको आज आप सभी के समक्ष लाया हु यदि जानकारी अच्छी लगे तो शेयर करे।
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