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अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

आदिवासी suheduled tribes ADIWASI KE BARE ME TRIBE TRIBEWIKIPIDIA

 आदिवासी 

आदिवासी के बारे में आइये जानने का प्रयास करते है वास्तव में आदिवासी का मतलब क्या है। 

"आदि " "वासी "नाम में ही सार छुपा है 

आदिकाल के निवासी। 

किसी ने यह शब्द बड़े ही सोच विचार के इजात किया ,

इस शब्द से ही सब कुछ व्यक्त हो जाता है जैसे - आदिकाल का इतिहास ,जल ,जंगल ,जमीन  का सार ,




कला -संस्कृति का रंग 

सार्थकता के लिए निवासी क्षेत्र का निर्माण। 

हमारे जीवन का राज यही जल ,जंगल ,जमीन  है। जिसकी सार्थकता हम दिन प्रतिदिन खोते जा रहे है। जिसकी कदर करना हम  छोड़ते जा रहे है। 




शान -शोहरत की दुनिया में  बढ़ते चले जा रहे है , जाने अनजाने में प्रकृति को नुक्सान पहुंचाते चले जा रहे है। 

अब जरा सोचिये क्या कर रहे है  

आप  मै  और हम 

आदिवासी आज सुदूर जंगलो पहाड़ो पर निवास करते है जो पूरी तरह  पर्यावरण अर्थात पृकृति पर निर्भर होते है  आदिवासी पूर्ण रूप  पृकृति पूजक होते है। आदिवासियों की धरोहर उनकी संस्कृति ,पहनावा ,भेसभूसा ,रहन सहन , कई तरह के  टोटके है जो उनको जीवन शक्ति देता है एवं उन्हें भौतिक सभ्यता  से बचाकर  रखता है , और जो उनकों औरो से अलग रखता है। 

यद्यपि दुनिया के अधिकांश देशो में आदिवासी लोग  रहते है और वे लोग ,खुद को परंपरा वादी कहते है। 


मै थोड़ा सा ध्यान आकर्षित करना चाहुगा।  

 आदिवासियों को ट्राइब्स  या suheduled tribes के नाम से सम्बोधित तो किया जाता  है लेकिन उनको इंडिजिनस पीपल या आदिवासी शब्द से सम्बोधित करने में परेशानी होती है क्योकि जब एक आदिवासी को ट्राइब कहा जाता है तो आदिवासी की छवि एक घुमन्तु आदमी की बनती है जिसका कोई ठौर ठिकाना नहीं होता है।  

लेकिन जब उसी व्यक्ति को आदिवासी कहा जाता है तो उसकी इमेज एक डीएम बदल सी जाती है। आदिवासी कहने से उसके वास स्थान का सवाल उभर कर सामने जाता है। 

"आदिवासी "शब्द से  प्राचीनता  का बोध तो होता ही है लेकिन उसके साथ ही जिस  जमीन पर जो आदिवासी निवास करते है  जमीन पर उनके स्वामित्व और अधिकार की भी घोषणा हो जाती   है।  आदिवासी शब्द से यह भी घोषणा हो जाती है की वे भूमि पुत्र है  वह जमीन जिसमे वे वास करते है वही उनका अपना दुनिया है। ,वही उनकी विरासत एवं परंपरा और संस्कृति है। 

अगर माने तो आज सैकड़ो देशो हजार भाषाओ और परम्पराओ में बिखरे हुए दुनिया भर के तमाम आदिवासियों की जीवन शैली लगभग एक जैसी ही है और ना केवल उनकी विचार धारा बल्कि उनकी समस्याएं भी एक है। 

आंकड़ों के हिसाब से यदि यदि बात करे तो लगभग 48 करोड़ आदिवासियों की आबादी दुनिया भर के 90 देशो में फैली हुई है यह दुनिया की जनसँख्या का लगभग 6 % है। लेकिन दुखद बात ये है की इस आबादी के 15 % लोग दुनिया के सबसे गरीब तमके के लोग है। भारत में आदिवासियो की आबादी करीब ११ करोड़ है जिसमे से 50%लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है , वे भारत के लगभग 13 % भूमि -क्षेत्र पर वास करते है। 

इन सारे आदिवासी मुद्दों को लेकर सयुक्त राष्ट्र संघ ने सबसे पहले अगस्त 1982 में और फिर दूसरी बार दिसम्बर 1994 में एक आमसभा जेनेवा में बुलाई थी। इसी जेनेवा कन्वेंसन में अगस्त 9 को "विश्व इंडिजिनस डे"के रूप में घोषित  किया गया था । 

आदिवासी इस विश्व आदिवासी दिवस को इतिहास के पन्नो में एक माइल स्टोन के रूप में देखते है क्योकि इस घोषणा के द्वारा दुनिया ने पहली बार आदिवासी परम्पराओ को और उनमे निहित ज्ञान की धाराओं को एक नॉलेज किया। यह आदिवासियो के लिए एक गर्व की बात है। लेकिन एक प्रासंगिक सवाल यह है की क्या आदिवासियों की परंपरागत -ज्ञान इतना सुदृढ़ और मजबूत है की यह दुनिया को कोई वैकल्पिक दिशा दे सकता है। 


तो दोस्तों आपको पोस्ट कैसा लगा अपना विचार कमेंट में अवश्य दे। और यदि अच्छा लगे तो सभी तक शेयर करे। 

जय हिन्द 

वन्दे मातरम 

 


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