ए टी एम् जारी होते ही हो जाता है पांच लाख बीमा सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जनजाति समाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम सम्पन्न हुआ 15.11.2024 को लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस ll

अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का संस्था लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस 15.11.2024 को कोतमा कुशा भाऊ ठाकरे मंगल भवन मे सम्पन्न हुआ ll कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया समाज के बच्चे एवं बच्चियों ने बहुत ही सुन्दर आदिवासी गाने एवं अगरिया समाज गीत पर नृत्य प्रस्तुत किये ll  संस्था के फाउंडर श्री दशरथ प्रसाद अगरिया द्वारा बताया गया की संस्था का मुख्य उद्देश्य अगरिया जनजाति के स्तर को , आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्तर से मजबूत बनाना है ll अगरिया जनजाति समाज बहुत ही पिछड़ा समाज है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है इस जनजाति समाज के लोग ना तो नौकरी मे है ना ही शिक्षित है और ना ही व्यवसायिक है ll बताया गया की अगरिया जनजाति समाज के लोग पूर्व प्राचीन समय मे जंगलो मे निवास करते थे जहा वो लोहा बनाने (गलाने) का काम करते थे ll अगरिया जनजाति ही वो समाज है जिसने सर्वप्रथम लौह अयस्क(लौह पत्थर) की पहचान किया और पारम्परिक भट्टी मे लौह अयस्क को गलाकर लोहा जैसे चमत्कारिक धातु को बनाया और देश दुनिया समाज को लोहा से अवगत कराया , यानि लोहा बनाने की संस्कृति

ए टी एम् जारी होते ही हो जाता है पांच लाख बीमा

ए टी एम् जारी होते ही हो  जाता है  पांच लाख  बीमा 


बैंको में ए टी एम् धारको का होता है दुर्घटना बीमा 

किसी भी राष्ट्रीकृत या गैर राष्ट्रीकृत बैंक के उपभोक्ता ने यदि बैंक से ए टी एम् जारी करवाया है तो ए टी एम् जारी होते ही उस उपभोक्ता का 25000 से लेकर 5 लाख तक का दुर्घटना बीमा बैंक ने करवाया है।  यह जानकारी 99 % उपभोक्ताओं को नहीं है इतना ही नहीं बीमा योजना बिना कोई राशि जमा किये विकलांगता से लेकर मौत होने तक के मुआवजे का प्रावधान है। 



बैंको में ए टी एम् धारको के लिए बीमा योजना प्रारम्भ हुए कई साल हो गए लेकिन आज तक लोगो को इस बात की जानकारी तक नहीं है और ना ही बैंक अधिकारी कर्मचारी कभी अपने ग्राहकों को यह बताते है। बैंको के ए टी एम् उपयोग करने वाले उपभोक्ता की यदि किसी दुर्घटना में मौत होती है तो उसके परिजन नियमानुसार मुआवजा पाने के अधिकारी हो जाते है।  लेकिन यह बात ज्यादातर लोगो को पता नहीं होती और बैंक आश्रितों को मिलने वाली राशि दबा लेती है। 

इस स्थिति में ए टी एम् धारक को मिलता है लाभ 

*दुर्घटना में एक हाथ और पैर से विकलांग होने पर 50000 मुआवजा। 

*दोनों हाथ और दोनों पैर ख़राब होने पर 1 लाख रूपए। 

*ए टी एम् धारक की मौत होने पर 1 लाख रूपए। 

*मास्टर कार्ड के ग्राहकों के मृत्यु का मुआवजा दो लाख रूपए है। 

हर तरह के ए टी एम् की अलग है राशि 

बैंक तीन प्रकार के  ए टी एम् जारी करता है 

1 -क्लासिक ए टी एम्  पर 1 लाख का बीमा 

2 -प्लैटिनम कार्ड   में 2 लाख रूपए का बीमा 

3 -मास्टर कार्ड में 50 हजार रूपए का बीमा 

4 -मास्टर प्लैटिनम कार्ड पर 5 लाख का बीमा 

5 -मास्टर मित्र  कार्ड पर 25000 एवं सभी वीजा कार्डो पर 2 -2 लाख का बीमा होता है 


बैंक नहीं करती प्रचार प्रसार 

ए टी एम्  धारको का बीमा होने की बात किसी भी बैंक उपभोक्ता को नहीं पता होती जबकि यह योजना ग्राहकों के हित के लिए ही लागू की गयी है बैंक ने ए टी एम् कार्ड धारी का बीमा तो कर दिया होता है लेकिन इसका कोई प्रचार प्रसार नहीं जाता है।  यही कारण है की 99 % ग्राहकों को इस बात की जानकारी नहीं होती है। 

उपभोक़्ता  फोरम भी जा सकते है ग्राहक 

 किसी दुर्घटना में शारीरिक विकलांगता या मौत होने पर ए टी एम् ग्राहक या उसके परिजन बैंक से मुआवजे की मांग कर सकते है। और बैंक यदि मुआवजा देने से इंकार करता है तो ग्राहक या आश्रित परिवार ,उपभोक्ता फोरम में बैंक  खिलाफ फरियाद भी प्रस्तुत कर सकते है। 

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