ए टी एम् जारी होते ही हो जाता है पांच लाख बीमा सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

ए टी एम् जारी होते ही हो जाता है पांच लाख बीमा

ए टी एम् जारी होते ही हो  जाता है  पांच लाख  बीमा 


बैंको में ए टी एम् धारको का होता है दुर्घटना बीमा 

किसी भी राष्ट्रीकृत या गैर राष्ट्रीकृत बैंक के उपभोक्ता ने यदि बैंक से ए टी एम् जारी करवाया है तो ए टी एम् जारी होते ही उस उपभोक्ता का 25000 से लेकर 5 लाख तक का दुर्घटना बीमा बैंक ने करवाया है।  यह जानकारी 99 % उपभोक्ताओं को नहीं है इतना ही नहीं बीमा योजना बिना कोई राशि जमा किये विकलांगता से लेकर मौत होने तक के मुआवजे का प्रावधान है। 



बैंको में ए टी एम् धारको के लिए बीमा योजना प्रारम्भ हुए कई साल हो गए लेकिन आज तक लोगो को इस बात की जानकारी तक नहीं है और ना ही बैंक अधिकारी कर्मचारी कभी अपने ग्राहकों को यह बताते है। बैंको के ए टी एम् उपयोग करने वाले उपभोक्ता की यदि किसी दुर्घटना में मौत होती है तो उसके परिजन नियमानुसार मुआवजा पाने के अधिकारी हो जाते है।  लेकिन यह बात ज्यादातर लोगो को पता नहीं होती और बैंक आश्रितों को मिलने वाली राशि दबा लेती है। 

इस स्थिति में ए टी एम् धारक को मिलता है लाभ 

*दुर्घटना में एक हाथ और पैर से विकलांग होने पर 50000 मुआवजा। 

*दोनों हाथ और दोनों पैर ख़राब होने पर 1 लाख रूपए। 

*ए टी एम् धारक की मौत होने पर 1 लाख रूपए। 

*मास्टर कार्ड के ग्राहकों के मृत्यु का मुआवजा दो लाख रूपए है। 

हर तरह के ए टी एम् की अलग है राशि 

बैंक तीन प्रकार के  ए टी एम् जारी करता है 

1 -क्लासिक ए टी एम्  पर 1 लाख का बीमा 

2 -प्लैटिनम कार्ड   में 2 लाख रूपए का बीमा 

3 -मास्टर कार्ड में 50 हजार रूपए का बीमा 

4 -मास्टर प्लैटिनम कार्ड पर 5 लाख का बीमा 

5 -मास्टर मित्र  कार्ड पर 25000 एवं सभी वीजा कार्डो पर 2 -2 लाख का बीमा होता है 


बैंक नहीं करती प्रचार प्रसार 

ए टी एम्  धारको का बीमा होने की बात किसी भी बैंक उपभोक्ता को नहीं पता होती जबकि यह योजना ग्राहकों के हित के लिए ही लागू की गयी है बैंक ने ए टी एम् कार्ड धारी का बीमा तो कर दिया होता है लेकिन इसका कोई प्रचार प्रसार नहीं जाता है।  यही कारण है की 99 % ग्राहकों को इस बात की जानकारी नहीं होती है। 

उपभोक़्ता  फोरम भी जा सकते है ग्राहक 

 किसी दुर्घटना में शारीरिक विकलांगता या मौत होने पर ए टी एम् ग्राहक या उसके परिजन बैंक से मुआवजे की मांग कर सकते है। और बैंक यदि मुआवजा देने से इंकार करता है तो ग्राहक या आश्रित परिवार ,उपभोक्ता फोरम में बैंक  खिलाफ फरियाद भी प्रस्तुत कर सकते है। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए थे। उन्होंने आपस  कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई

agariya kaoun haiअगरिया कौन है

  अगरिया मध्य भारत के वे आदिवासी समुदाय है जो लोहा गलाने यानि की लौह प्रगलक का कार्य करते है उनका मुख्य व्यवसाय लोहे से जुड़ा होता है अगरिया अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते है। अगरिया समुदाय पत्थर से लोहा गलाते है लेकिन वर्तमान  में पत्थर पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया  है जिससे उनका व्यवसाय काफी प्रभावित है। अतः अगर वर्तमान की बात करे तो अगरिया समुदाय इस समय अपने क्षेत्र में जिस ग्राम या परिवेश में रह रहे है वही के लोगो का उपयोग की सामग्री बनाकर उनको देते है तथा अपने किसानो का (जिनके ऊपर वे आश्रित है ) समबन्धी समस्तलोहे का कार्य करते है एवं अपने मेहनत का पैसा या खाद्यान्न लेकर अपने एवं अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। अगरिया समुदाय की पहचान अभी भी कई जगह में एक समस्या है है कई जगह उनको गोंड भी कह दिया जाता है ,लेकिन ऐसा कहना किस हद तक सही है पर  ,हां अगरिया को गोंडो का लोहार जरूर कहा जाता है लेकिन वास्तव में में अगरिया गोंड नहीं है बल्कि  गोंडो की उपजाति है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है लेकिन अगरिया क्

अगरिया गोत्र agariya gotra

  अगरिया समाज गोत्र  अगरिया समाज  आदिम मानव काल की प्रजाति है जो प्राचीन काल से  लौह  का प्रगलन करते आया है आज भी अगरिया आदिवासी समुदाय लोहे का व्यवसाय अपनाया हुआ है जो अगरिया आदिवासी की मुख्य व्यवसाय है लोहे की सम्मग्री बनाना लोहे के साथ आग पर काम करना आज भी सतत रूप से जारी है।   अगरिया समाज में कई गोत्र है जो कई प्रकार के है नीचे पढ़िए अगरिया समाज का सम्पूर्ण गोत्रावली  सोनवानी , सनवान ,सोनहा , 2 -अहिंदा , अहिंदवार , अहिंधा 3-चिरई , छोटे चिरई  4 -रन चिरई  5 -मराई ,मरावी ,मरई (7 देवता ) 6 -गैंट ,कांदा ,बेसरा  7 -पोर्ते ,पोरे  8 -टेकाम                ९ -मरकाम    10 - धुर्वे , कछुआ ,धुरवा     11-गुइडार ,गोहरियार ,गोयरार    12 -गिधली , गिधरी   13 - नाग   14 -परसा   15 -गढ़कू ,गोरकु   16 - बरंगिया , बरगवार                                    17 -कोइलियासी   18 -बाघ ,बघेल   19 -खुसरो ,खुसर   20 -मसराम  21 -पन्द्रो   22 -परतेती 23 -पोट्टा   24 -श्याम (7 देवता )  25 -तिलाम   26 -कोरचो   27-नेताम (4 देवता )  28 -भैरत ,भरेवा ,भवानर        29 -दूधकावर  30-कुमुन्जनि ,मुंजनी ,मुंजना (वृक्ष )  31 -मह