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मई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

नारी शक्ति सुविचार

ज़िला सिंगरौली के दशगात्र कार्यक्रम मे अगरिया समाज संगठन के कार्यकर्त्ता साथियों ने शोकाकुल परिवार को सहायता राशि प्रदाय किये ll

कल दिनांक -23/05/2022को मध्यप्रदेश का ज़िला सिंगरौली के ग्राम बोदा मे अगरिया समाज के स्व. नन्हू राम अगरिया गोत्र अहिंदवार जी के दशगात्र कार्यक्रम पर अगरिया समाज संगठन भारत के कार्यकर्त्ता साथियो ने उस परिवार को अगरिया समाज संगठन के नियमानुसार सहायता राशि प्रदाय किये ll एवं सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम किये ll जहाँ सभी को संगठन की विचार धारा, उद्देश्य से परिचित कराते हुए समाज को आगे बढ़ाने, शिक्षित, संस्कारी, नशा मुक्त समाज बनाने के लिए संगठन से जुड़ने के लिए प्रेरित किये ll कार्यक्रम मे सिंगरौली ज़िला के संगठन से जुड़ें कार्यकर्त्ता नारायण अगरिया जी ने बताया की सभी स्वजातीय बंधु यहाँ समाज के उत्थान एवं विकास के लिए संगठन के विचार धारा मे कार्य करते हुए समाज को जागरूक कर रहे है एवं संगठन के हर गतिविधि को समाज मे लागू करते जा रहे है ll उन्होंने कहा समाज हमारा है और हमारी जिम्मेदारी है की हम सब मिलकर समाज को आगे बढ़ाये जिससे हमारा समाज के सशक्त समाज हो ll सभी को मिलकर संगठन को मजबूत बनाना है जुड़ना है तभी समाज का उत्थान एवं विकास होगा ll कार्यक्रम मे सिंगरौली ज़िला के कई ग्रामो से स्वज

अगरिया जनजाति के प्रमुख औजार

अगरिया जनजाति के प्रमुख औजार   संसी  Sansi -लोहा या किसी भी वस्तु को पकड़ा जाता है और हथोड़ा से पीटा जाता है  लंगड़ी संसी या कैची संसी - 2 -हथौड़ा या हथौड़ी -हथौड़ा से पीटा जाता है किसी भी लोहे की वस्तु या किसी भी सामग्री को।  तथा आकार दिया जाता है।  3 -घन या घान - लोहे की बड़ी वस्तु को आकार देने के लिए घन से पीटा जाता है  4 -छेनी -छेनी का प्रयोग लोहा ,लोहे के सामान या किसी अन्य वस्तु को काटने में किया जाता है।  5-निहाई -लोहे को निहाई में रख कर पीटा जाता है।   6-  पंखी  या पंखा  या धौकनी -  पंखा या  धौकनी से भट्ठी को हवा दिया जाता है।   7 -रेती -औजार या किसी लोहे की वस्तु को चमकाने या धारदार तथा नुकीला बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।  8 -पवारी -कोई भी घरेलु उपयोग के लोहे की सामग्री या कृषि यंत्र सामग्री में हत्था लगाने हेतु होल या छेद बनाने के काम में आता है  9 -सुम्मी या सुमि -घरेलु उपयोग की सामग्री या कोई औजार या कोई अन्य लोहे के कृषि यंत्र में छोटे छोटे छेद बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।  10 -चपरास -लोहे की सामग्री के कोनो में सुधार हेतु चपरास का उपयोग अगरिया जनजाति

सबसे पहले लोहा किसने बनाया ll सर्वप्रथम लोहा का अविष्कार खोज किसने किया ll

सबसे पहले लोहा बनाने वाली जनजाति "अगरिया जनजाति" है जिसने सबसे पहले लौह अयस्क की पहचान की और लौह अयस्क को भट्ठी मे डालकर पिघलाकर लोहा बनाया ll इसके साक्ष्य प्रमाण आज भी अगरिया जनजाति,अगरिया समाज के पास मिलता है चेपूआ जिससे भट्ठी को धौंका जाता है मिलता है और अगरिया जनजाति आज भी इस संस्कृति को अपनाया हुआ है ll आज के इस परिवेश मे भी अगरिया जनजाति लौह का प्रगलन लौह अयस्क के माध्यम से करता है ll सबसे पहले अगरिया जनजाति द्वारा लौह प्रगलन अगरिया जनजाति ने किया इसका साक्ष्य कई अंग्रेज लेखकों के पुस्तकों मे भी मिलता है ll अगरिया जनजाति पूर्व अनादिकाल से जंगल मे निवास करते हुए लोहा गलाता रहा है जिसका साक्ष्य आज भी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के कई जिलों के जंगलो मे भी देखने को आज भी मिलता है ll जहाँ लौह अयस्क टुकड़े,पिघले लोहे के छोटे छोटे टुकड़े, वो आधा टूटा हुआ भट्ठी  का गेरा जिसमे लौह अयस्क को डाल कर चेपूआ चलाया जाता है आज भी जंगलो मे मिलता है ll अगरिया जनजाति का कार्य व्यवसाय लोहा से जुडा हुआ है लोहा के औजार बनाना,घरेलु उपयोगी सामग्री बनाना, हथियार बनाना इत्यादि ll 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇

समाज मे सभी बदलाव लाना चाहते है उसके लिए समय दान आवश्यक है

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 👉🏻संगठन की बस एक आवाज़ संगठित हो अपना अगरिया समाज 🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴 आज हर समाज संगठित हो रहा है और अपने समाज को मजबूत बना रहे है अपने समाज मे बदलाव कर रहे जिसका प्रभाव देखने को मिलता है की समाज मे शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है, समाज मे नशा कम हो रहा है, समाज मे एक दुसरे के प्रति मान सम्मान बढ़ रहा है, समाज संस्कारी जो रहा है, तो हमारा समाज क्यों पीछे रहे क्या हम मे लोगो को जागरूक करने की क्षमता नहीं है क्या हम पढ़े लिखें नहीं है या फिर हमारे पास संगठन नहीं है या फिर हमारे समाज के सामाजिक बंधु समाज के प्रति सकारात्मक नहीं है या समाज मे महिलाये अपना योगदान नहीं देना चाहते यदि ये सब बात होगा तो संगठन को सोचना होगा कार्यकर्ताओ को सोचना होगा, वीरँगनाओ को सोचना होगा, समाज मे आगे आना होगा, आज समाज की आवाज़ है की आइये इस विलुप्त होते समाज के अस्तित्व को बचाइये ये एक गौरव शाली समाज है जिसका इतिहास पूर्व से आदरणीय था और आगे भी आदरणीय रहेगा बस यदि कदर नहीं है तो हमको ll पहचानिये अपने समाज के उन बिन्दुओ को जहाँ आपको कार्य करने की आवश्यकता है, अपने आप को अपने लोगो को संगठन मे लाइये,

succes tips, motivation

सुविचार, प्रेरणादायक सुविचार

ज़िला -बालाघाट (म.प्र) मे अगरिया समाज की मीटिंग राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत के नेतृत्व मे संपन्न हुआ ll

दिनांक -30/04/2022 को राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत के मार्गदर्शन मे अगरिया समाज की बैठक संपन्न हुआ इस मीटिंग के. आयोजनकर्ता श्री सुकक्ल धुर्वे बालाघाट ज़िला उपाध्यक्ष एवं बालाघाट के अगरिया समाज के स्वजातीय बंधु रहे जिन्होंने अपने अथक प्रयास से ज़िला बालाघाट मे मीटिंग का आयोजन किये एवं बालाघाट अंतर्गत सभी स्वजातीय बंधुओ को समाज की इस मीटिंग मे आमंत्रित किये जिससे सभी संगठन की विचार धारा एवं उद्देश्य से अवगत हो सके की संगठन द्वारा समाज के उत्थान एवं विकास के लिए चलाया जा रहा मुहीम क्या है एवं कैसे समाज के विकास हो पाएगा ll इस मीटिंग मे बालाघाट ज़िला के लगभग सभी ब्लॉक से अगरिया समाज के स्वजातीय बंधु मौजूद रहे है ll क्या था संगठन की विचार धारा एवं योजना ज़िला मीटिंग को लेकर - आपको बताना चाहेंगे की राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत माह मार्च 2022 मे संगठन अंतर्गत जुड़ें सभी जिलों मे सम्पूर्ण भारत अंतर्गत इस सामाजिक मीटिंग का आयोजन किया इन सभी जिलों मे मीटिंग हेतु नोडल कार्यकर्त्ता अधिकारी अन्य जिलों से नियुक्त किये गए नियुक्त किये गए इस मीटिंग के पीछे संगठ

ज़िला चापा छत्तीसगढ़ मे अगरिया समाज की मीटिंग संपन्न हुआ ll राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत के मार्गदर्शन मे ll

राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत द्वारा प्रदाय एजेंडा अनुसार अगरिया समाज की मीटिंग एवं शपथ ग्रहण का कार्यक्रम  जिला चांपा छत्तीसगढ़ मे  -17/04/2022 को हुआ ll जहाँ अगरिया समाज के उत्थान एवं विकास पर एजेंडा का विधिवत विश्लेषण करते हुए अगरिया समाज के सभी स्वजातीय बंधुओ को संगठन के एजेंडा से अवगत कराया गया ll तथा संगठन से साथ मजबूती से जुड़कर समाज के उत्थान एवं विकास पर कार्य करने की सभी स्वजातीय बंधुओ से अपील की गयी ll उक्त कार्यक्रम के लिए नोडल कार्यकर्त्ता अधिकारी अन्य जिले से नियुक्त श्री राकेश अगरिया जी कोरबा से थे जिनके अथक प्रयास एवं मेहनत से इस मीटिंग का आयोजन हुआ ll ऐसा माना जाता है की इनके द्वारा स्वयं ही ज़िला चापा के स्वजातीय बंधुओ से चर्चा कर मीटिंग का आयोजन कराया गया था बात करने पर उनके द्वारा बताया गया की ये समाज हमारा है और इस समाज को यदि एक अच्छा विकसित, शिक्षित, नशा मुक्त और संगठित समाज बनाना है तो हर व्यक्ति को अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाना पड़ेगा तभी हमारा अगरिया समाज एक संस्कारी एवं विकसित समाज बनकर सामने आएगा ll उन्होंने कहा की आज स