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जुलाई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

मध्यप्रदेश में कितनी जनजातियां निवास करती है

  मध्यप्रदेश में कितनी जनजातियां निवास करती है  लगभग 24 जनजातियाँ मध्यप्रदेश में निवास करती है। इनकी उपजातियो को मिलाकर इनकी कुल संख्या 90 है। मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ जनसँख्या इन जनजातियों की है। जो अब भी भारत की सर्वाधिक है। 

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-अगरिया जनजाति का रहन सहन - इनके घर मिटटी के होते है।  उन पर

ज़िला सरगुजा छत्तीसगढ़ मे 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण अगरिया समाज संगठन भारत के मार्गदर्शन मे ll

वृक्षारोपण मे अहम भूमिका निभाने वाले अगरिया समाज के युवा कार्यकर्त्ता श्री जागेश्वर अगरिया जी एवं उनकी पूरी टीम ll वृक्षारोपण एवं अगरिया समाज संगठन भारत की गतिविधि पर क्या बोले जागेश्वर अगरिया जी ll👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 जागेश्वर अगरिया जी ज़िला सरगुजा से अगरिया समाज संगठन भारत के एक प्रमुख कार्यकर्त्ता के रुप मे जाने जाते है उनका कहना मै हमेशा से अगरिया समाज संगठन भारत के उद्देश्य एवं विचारों का समर्थन करता हु और करुगा क्योंकि संगठन का उद्देश्य अगरिया समाज को संगठित करना है ll जो वास्तव मे सत्य है ज़ब तक अगरिया समाज संगठित नहीं होगा अगरिया समाज को राष्ट्रीय अस्तित्व प्राप्त नहीं होगा और ना ही अगरिया समाज की समस्या का निवारण होगा ll अगरिया समाज के उत्थान एवं विकास के लिए सभी को एक साथ मिलकर एक मंच पर आना होगा और सभी को एक साll मिलकर अगरिया समाज के उत्थान एवं विकास के. लिए  कार्य करना होगा ll उन्होंने कहा ये समाज हमारा सम्पूर्ण भारत मे निवासरत अगरिया समाज हमारा. समाज है अतः सम्पूर्ण अगरिया जनजाति का उत्थान विकास के लिए सकारात्मक मानसिकता से संगठन से मजबूती से जुड़कर कार्य कर