अगरिया समाज संगठन भारत द्वारा आयोजित अगरिया समाज का राष्ट्रीय महासम्मेलन 2022 कोतमा ज़िला अनूपपुर मध्यप्रदेश मे मनाया गया ll जहाँ भारत के कोने कोने से अगरिया समाज के कई राज्यों के स्वजातीय बंधु संगठन के पदाधिकारि, अध्यक्ष,, नोडल उपस्थित रहे है एवं संगठन की वीरांगना भारी संख्या मे उपस्थित रहे ll एक ऐतिहासिक पल था अगरिया जनजाति समाज के लिए ll साथियो आज समाज की आवश्यकता है की समाज संगठित हो, क्योंकि संगठित समाज से ही समाज मे विकास होगा और समाज की समस्याओ का समाधान होगा, समाज शिक्षित होगा ll साथियों आइये सभी मिल कर समाज को संगठित करें,और सम्पूर्ण भारत मे चाहे कोई भी ज़िला हो, राज्य हो, सभी जगह अगरिया समाज का एक बैनर राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत का हो एवं एक लेटर पेड हो ll कुछ ऐसे सोच के साथ आइये मिलकर समाज मे उत्थान एवं विकास लाये ll
जय अगरिया, जय भारत, वन्देमातरम
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सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति के गोत्र है। किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै पुनः आप सभी के समक्ष रखने का हु। तो आइये जानते है - लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा हुए थे। उन्होंने आपस कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई
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agariya samaj ki jankari ke liye ye blog taiyar kiya gaya hai agariya samaj sangathan poore bharat ke agariya samaj ko sangathit karna chahta hai