अगरिया समाज जनजागरूकता कार्यक्रम मे राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जिला सीधी (म.प्र ) दिनांक -25/12/2022 को पहुचे ll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

अगरिया समाज जनजागरूकता कार्यक्रम मे राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जिला सीधी (म.प्र ) दिनांक -25/12/2022 को पहुचे ll

अगरिया समाज जनजागरूकता कार्यक्रम मे राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जिला सीधी (म.प्र ) दिनांक -25/12/2022 को पहुचे ll
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻


लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के नेतृत्व मे जिला इकाई सीधी मे अगरिया समाज का सम्मेलन (अगरिया समाज जनजागरूकता) कार्यक्रम रखा गया था ll सीधी जिलाध्यक्ष एवं जिला कार्यकर्त्ता के सफल आयोजन से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ llजहा कार्यक्रम मे दूर समाज के उत्थान विकास मे समाज को जागरूक करने एवं समाज को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने एवं संगठित समाज के निर्माण अगरिया अस्तित्व के लिए कई जिलों  जैसे सिंगरौली, सीधी, शहडोल, उमरिया, कोरिया, अनूपपुर के स्वजातीय बंधु माताए बहने अगरिया समाज संगठन भारत के इस जागरूकता कार्यक्रम, अगरिया जोड़ो अभियान मे सम्मिलित रहे ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन पिछले वर्ष मार्च 2022 से अगरिया जोड़ो अभियान कार्यक्रम की शुरुआत कर चूका है जिस उद्देश्य के लिए संगठन की ओर से जिले जिले मे ऐसे सामाजिक गतिविधियों का आयोजन लगातार करता जा रहा है ll
इस कार्यक्रम को सम्बोधित करने हेतु राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया अनूपपुर कोतमा से पहुचे थे ll एवं साथ मे जिला कोरिया छत्तीसगढ़ से सुकुल नागवंशी (कोरिया जिलाध्यक्ष), सुखित अगरिया, रामलखन अगरिया, अर्जुन अगरिया, रुपेश अगरिया, श्रीमती लालती अगरिया सहित कई स्वजातीय बंधु माताए बहने उपस्थित रहे ll समाज के उत्थान विकास मे सुकुल नागवंशी कोरिया जिलाध्यक्ष जी ने सभी को सम्बोधित किये उन्होंने बताया की जो बीत गया वो बीत गया, अब वर्तमान मे क्या करना है कैसे करना है, जिससे आगे समाज का भविष्य सुरक्षित हो सके ll इसी तरह सुखित अगरिया जी ने भी समाज की मुख्य समस्या नशा एवं शिक्षा पर बात किये ll
राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जी ने सम्बोधित करते हुए बोले की इस विलुप्त होते समाज को आज संरक्षित किया जा रहा है इसके अस्तित्व की प्रप्ति के लिए ये प्रयास जारी है और इस समाज को संस्कारी संगठित समाज बनाने के लिए समाज के हर व्यक्ति की भागीदारी अनिवार्य है ll हर व्यक्ति को समाज से अपेक्षा है हर व्यक्ति कहता है समाज मे रूढ़िवादी समस्या है, हर व्यक्ति कहता है समाज मे नशा पान है, हर व्यक्ति कहता है समाज मे शिक्षा बहुत कम है ll लेकिन इन सारे बातो की जिम्मेदारी लेगा कौन,केवल कहने से नहीं सामने आने से, और जिम्मेदारी लेने से समाज का विकास होगा ll संचालक जी ने कहा की समाज के उत्थान विकास के लिए हर व्यक्ति को आगे बढ़कर संगठन से जुड़कर जिम्मेदारी लेना होगा तभी समाज सशक्त और संगठित समाज बनकर आएगा ll जिला सीधी कार्यक्रम मे उपस्थित समस्त अगरिया समाज जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए संचालक महोदय जी बोले की हमारा लक्ष्य केवल एक जिला नहीं है हमारा लक्ष्य अगरिया जनजाति है आज 30 साल पहले अपने समाज की  जो स्थिति रही है उसको भूलते हुए एवं एक नये अगरिया समाज के पुनरनिर्माण के लिए सभी को आगे आना होगा  और सभी को अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी होंगी ll
संगठन के उद्देश्य से परिचित कराते हुए बताये की  -
समाज मे हर बच्चे को शिक्षित करना होगा एवं घर परिवार मे बच्चों को अगरिया जनजाति के इतिहास की जानकारी देना होगा जिससे बच्चे अगरिया जनजाति के इतिहास से अवगत हो सके की सर्वप्रथम इस दुनिया मे लोहा बनाने वाली जनजाति अगरिया जनजाति है ll जिससे बच्चे अगरिया समाज पर गर्व कर सके और सम्पूर्ण अगरिया समुदाय भी गर्व महसूस कर सके की वो एक वैज्ञानिक समाज के अंश है ll
समाज मे शिक्षा पढ़ने लिखने के लिए संगठन की ओर से मदद किया जायगा जिसके लिए समाज के हर व्यक्ति को  संगठन को अंश दान थोड़ा थोड़ा करना है ll
समाज मे बच्चों को खेल कूद,कला, एवं उनके प्रतिभा को निखारने के लिए जिलों राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियों का आयोजन करना है जिसमे हर जिले की भागीदारी होनी है ll
समाज के प्रतिभावान कलाकारो को संगठन देगा पहचान  समाज के प्रतिभावान् कलाकार संगठन से संपर्क करें जिससे समाज के कलाकारों को संगठन की ओर से पहचान दिया जा सके llll
समाज मे सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन आगामी आने वाले दिनों मे होगा ll
अच्छे प्रतिभावान बच्चों को जिले राज्य मे शिक्षा के क्षेत्र मे अच्छा प्रदर्शन करने पर राष्ट्रीय अगरिया समाज स्थापना दिवस पर बच्चों को पुरुस्कृत करना एवं माता पिता का सम्मान करना ll
समाज मे महिलाओ को आगे लाना पहचान देना एवं उनको स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर बनने हेतु सहयोग प्रदान करना  प्रशिक्षित करना एवं सहयोग करना ll
संगठन से जुड़े हर व्यक्ति को शादी व्याह संबंध मे मदद   प्रदान करना  तथा मृत्यु शोक जैसे समाचार मे सहायता प्रदान किया जायगा ll
उक्त कई बिन्दुओ पर संचालक महोदय द्वारा चर्चा किया गया एवं अंतिम मे कहा गया की "सबके साथ,सबके सहयोग"से अगरिया समाज का उत्थान विकास होगा इसलिए आइये सभी मिलकर समाज को संगठित करें ll

कार्यक्रम मे  उपस्थित स्थानीय स्तर पदाधिकारी एवं स्वजातीय बंधु राजकुमार अगरिया सिंगरौली जिलाध्यक्ष पन्नेलाल अगरिया,बीरबल अगरिया, राजपाल अगरिया, महिपाल अगरिया, बृजेश अगरिया, रघुवंश अगरिया सहित जिला सीधी सिंगरौली एवं अन्य कई जिलों से लगभग 500-700 की संख्या मे माताए बहने उपस्थित रहे ll तथा रामसरोवर अगरिया, बलराम अगरिया, शीतल अगरिया सहित कई स्वजातीय बंधु उपस्थित रहे ll
#संगठन की बस एक ही आवाज़ संगठित हो अगरिया समाज

यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत की सम्पूर्ण गतिविधि को देखने के लिए यू ट्यूब पर सर्च करें "agariya samaj sangathan bharat " और चैनल को सब्सक्राइब करें ll louhpraglakagariyajanjatibharatfoundation

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए थे। उन्होंने आपस  कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई

agariya kaoun haiअगरिया कौन है

  अगरिया मध्य भारत के वे आदिवासी समुदाय है जो लोहा गलाने यानि की लौह प्रगलक का कार्य करते है उनका मुख्य व्यवसाय लोहे से जुड़ा होता है अगरिया अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते है। अगरिया समुदाय पत्थर से लोहा गलाते है लेकिन वर्तमान  में पत्थर पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया  है जिससे उनका व्यवसाय काफी प्रभावित है। अतः अगर वर्तमान की बात करे तो अगरिया समुदाय इस समय अपने क्षेत्र में जिस ग्राम या परिवेश में रह रहे है वही के लोगो का उपयोग की सामग्री बनाकर उनको देते है तथा अपने किसानो का (जिनके ऊपर वे आश्रित है ) समबन्धी समस्तलोहे का कार्य करते है एवं अपने मेहनत का पैसा या खाद्यान्न लेकर अपने एवं अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। अगरिया समुदाय की पहचान अभी भी कई जगह में एक समस्या है है कई जगह उनको गोंड भी कह दिया जाता है ,लेकिन ऐसा कहना किस हद तक सही है पर  ,हां अगरिया को गोंडो का लोहार जरूर कहा जाता है लेकिन वास्तव में में अगरिया गोंड नहीं है बल्कि  गोंडो की उपजाति है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है लेकिन अगरिया क्

अगरिया गोत्र agariya gotra

  अगरिया समाज गोत्र  अगरिया समाज  आदिम मानव काल की प्रजाति है जो प्राचीन काल से  लौह  का प्रगलन करते आया है आज भी अगरिया आदिवासी समुदाय लोहे का व्यवसाय अपनाया हुआ है जो अगरिया आदिवासी की मुख्य व्यवसाय है लोहे की सम्मग्री बनाना लोहे के साथ आग पर काम करना आज भी सतत रूप से जारी है।   अगरिया समाज में कई गोत्र है जो कई प्रकार के है नीचे पढ़िए अगरिया समाज का सम्पूर्ण गोत्रावली  सोनवानी , सनवान ,सोनहा , 2 -अहिंदा , अहिंदवार , अहिंधा 3-चिरई , छोटे चिरई  4 -रन चिरई  5 -मराई ,मरावी ,मरई (7 देवता ) 6 -गैंट ,कांदा ,बेसरा  7 -पोर्ते ,पोरे  8 -टेकाम                ९ -मरकाम    10 - धुर्वे , कछुआ ,धुरवा     11-गुइडार ,गोहरियार ,गोयरार    12 -गिधली , गिधरी   13 - नाग   14 -परसा   15 -गढ़कू ,गोरकु   16 - बरंगिया , बरगवार                                    17 -कोइलियासी   18 -बाघ ,बघेल   19 -खुसरो ,खुसर   20 -मसराम  21 -पन्द्रो   22 -परतेती 23 -पोट्टा   24 -श्याम (7 देवता )  25 -तिलाम   26 -कोरचो   27-नेताम (4 देवता )  28 -भैरत ,भरेवा ,भवानर        29 -दूधकावर  30-कुमुन्जनि ,मुंजनी ,मुंजना (वृक्ष )  31 -मह