अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का संस्था लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस 15.11.2024 को कोतमा कुशा भाऊ ठाकरे मंगल भवन मे सम्पन्न हुआ ll कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया समाज के बच्चे एवं बच्चियों ने बहुत ही सुन्दर आदिवासी गाने एवं अगरिया समाज गीत पर नृत्य प्रस्तुत किये ll संस्था के फाउंडर श्री दशरथ प्रसाद अगरिया द्वारा बताया गया की संस्था का मुख्य उद्देश्य अगरिया जनजाति के स्तर को , आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्तर से मजबूत बनाना है ll अगरिया जनजाति समाज बहुत ही पिछड़ा समाज है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है इस जनजाति समाज के लोग ना तो नौकरी मे है ना ही शिक्षित है और ना ही व्यवसायिक है ll बताया गया की अगरिया जनजाति समाज के लोग पूर्व प्राचीन समय मे जंगलो मे निवास करते थे जहा वो लोहा बनाने (गलाने) का काम करते थे ll अगरिया जनजाति ही वो समाज है जिसने सर्वप्रथम लौह अयस्क(लौह पत्थर) की पहचान किया और पारम्परिक भट्टी मे लौह अयस्क को गलाकर लोहा जैसे चमत्कारिक धातु को बनाया और देश दुनिया समाज को लोहा से अवगत कराया , यानि लोहा बनाने की संस्कृति
अगरिया समाज संगठन को क्या कभी मिला था ऐसा कार्यकर्त्ता ll
साथियों आपको अवगत कराना चाहेंगे एक तरफ जहा लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन (संगठन) मे कार्यकर्त्ता की तलाश जारी है वही एक ऐसा कार्यकर्त्ता जिला कोरबा मे है ll जो अपने काम के साथ साथ इस समाज के लिए इतने समर्पित है की इनकी कहानी सुनने के बाद आपको लगेगा की वास्तव मे ये अगरिया समाज के कार्यकर्त्ता के रूप मे एक मिशाल माने जा सकते है ll
साथियो जी हां इनका नाम दुबराज सिंह अगरिया है और ये जिला कोरबा के निवासी है ll इनकी कहानी माह सितंबर से प्रारम्भ होती है ll ज़ब संगठन की ओर से राष्ट्रीय महासम्मेलन किया गया ये कार्यक्रम मे उपस्थित हुए थे और इन्होने संगठन के उद्देश्य गतिविधियों को गहराई से समझा और जाना उसके बाद ये समाज के लिए समर्पित हो चुके ll आपको बता दे दुबराज सिंह अगरिया जी कोल माइंस मे ड्यूटी करते है ll और ड्यूटी के साथ साथ इस संगठन की ओर से समाज को जागरूक कर रहे है संगठन से लोगो को अवगत करा रहे है उद्देश्य से परिचित करा रहे है ll ये ज़ब ड्यूटी जाते है अपने साथ सभी प्रकार के पहनने के लिए कपडे, एवं सभी प्रकार के संगठन की ओर से उपयोगी सामग्री लेकर अपने बैग मे चलते है और ड्यूटी से निकलने के बाद ये गांव गांव जाते है घर घर जाते है और संगठन के उद्देश्य से लोगो को परिचित कराते है ll ये सिलसिला लगभग लगातार कई महीनो से इनके द्वारा किया जा रहा है ll आज से लगभग कई साल पहले जिला कोरबा संगठन से जुडा जिला रहा है लेकिन संगठन को. लेकर ऐसे गतिविधि नहीं हो रहे थे लेकिन आज जिला कोरबा मे काफ़ी बदलाव देखने को मिल रहा है ll इनके ऐसे कई कार्यो को हमने अपने संगठन की ओर से पोस्ट मे पहले भी दिखा चुके है ll आज पुनः आपको बता दे अभि अभि इनके द्वारा कई ग्राम का दौरा किया जो की ये है -बरपाली, खोरी बाटा,टुरी कटरा,पेडिया, अच्छीमार, मुढू नारा ऐसे कई ग्राम का दौरा इनके द्वारा ड्यूटी से निकलने के बाद किया गया और संगठन के उद्देश्य को जन जन पहुंचाने का कर रहे है ll और ऐसा नहीं की अपने घर से 10-15 किलोमीटर के एरिया मे बल्कि इनके द्वारा ड्यूटी से निकलने के बाद प्रतिदिन 150-200 किलोमीटर का दौरा किया जाता है और यदि ज्यादा रात हो गया उस स्थिति मे वहा रुक भी जाते है और पुनः सुबह वही से ड्यूटी जाना एवं पुनः सामाजिक कार्य को अंजाम देना इनका कार्य होता है ll मित्रो इतना ही नहीं इनके द्वारा संगठन के हर कार्य मे आगे बढ़कर ❤️सहयोग भी किया जाता है हर सामाजिक गतिविधि मे संगठन की ओर से आर्थिक सहयोग एवं समय दान भी करते है और इस कार्य को ये अपना कर्तव्य समझते है llबहुत जल्द ही इनका इंटरव्यू आपको हम संगठन की ओर से अपने यू ट्यूब चैनल मे आपको दिखाएंगे ll
आज संगठन को इन पर गर्व है ll ऐसे सामाजिक वीर योद्धा को संगठन नमन करता हैआये
साथियों यदि हम सब अपने समाज के लिए संगठन से जुड़कर समाज की जिम्मेदारी अपने हाथ मे ले आगे बढ़कर सामने आये तो समाज का उत्थान एवं इस समाज अस्तित्व प्राप्त करने मे ज्यादा समय नहीं लगेगा ll
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