अगरिया समाज संगठन भारत के मार्गदर्शन मे जिला इकाई कबीरधाम छग मे अगरिया समाज की बैठक सम्पन्न जिला जनजागरूकता कार्यक्रम अंतर्गत ll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

अगरिया समाज संगठन भारत के मार्गदर्शन मे जिला इकाई कबीरधाम छग मे अगरिया समाज की बैठक सम्पन्न जिला जनजागरूकता कार्यक्रम अंतर्गत ll

अगरिया समाज संगठन भारत के मार्गदर्शन मे जिला इकाई कबीरधाम छग मे अगरिया समाज की बैठक सम्पन्न जिला जनजागरूकता कार्यक्रम अंतर्गत ll
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻दिनांक 04/12/2022 को  जिला कबिरधाम के ग्राम नंदनी गांव में मीटिंग जिला कबीर धाम अध्यक्ष महोदय श्री हरी प्रसाद अगरिया अगरिया एवं राष्ट्रीय कोर सदस्य श्री अन्नू अगरिया की अध्यक्षता मे रखा गया जहा जिले से कई स्वजातीय बंधु एवं माताए बहने उपस्थित रहे llजिसमे राष्ट्रीय लौह प्रगलक अगरिया समाज महासंघ भारत के उद्देश्य के तहत समाज के उत्थान एवं विकास के बारे में निम्न बिंदु वार चर्चा हुई (1)रूढ़ीवादी परम्परा को खत्म करके नया नीव नया रास्ते में चलने के लिए प्रेरित किया गया (2) धर्म परिवर्तन करने वाले को अगरिया समाज से पूर्ण रूप से अलग करने का निर्णय लिए हैं। (3)शिक्षा के ऊपर विशेष चर्चा। (4)किसी भी कार्य क्रम में नशा पान नहीं किया जाय। अगर सेवन करके आने वाले को 1000 रूपए दंड एवं समाज से अलग करने का निर्णय किए हैं। (5)संगठन के उद्देश्य के बारे में बताया गया । आदि पर चर्चा किए। महिला पुरूष मिलाकर 60 लोग उपस्थित थे। सभी लोगों के बीच अगरिया समाज के बारे में चर्चा किए।
अगरिया समाज संगठन भारत का उद्देश्य सम्पूर्ण भारत पर अगरिया समाज को संगठित करने का है तथा एक मंच पर सम्पूर्ण समाज के उत्थान विकास पर कार्य करना  जिससे समाज एक संगठित समाज बन सके आज इस जनजाति के प्रत्येक बिंदु पर कार्य करना आवश्यक है इसके अस्तित्व को बचाना आवश्यक है जिसके लिए समाज के हर व्यक्ति को संगठन की ओर से आगे बढ़कर समाज मे अपनी जिम्मेदारी लेनी होंगी तभी समाज एक सशक्त समाज बन कर आगे आएगा ll तथा वहा कोठी भट्ठी पर लोहा गलाने को लेकर भी बात हुआ और भट्ठी का निर्माण हुआ जहा लोहा गलाया जायगा शीघ्र ही ll

उक्त बैठक पर राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जी क्या बोले - दशरथ अगरिया जी ने इस कार्यक्रम बैठक को आयोजित करने पर समस्त स्वजातीय बंधुओ को आभार प्रकट किये बोले की ऐसे बैठक जिले मे लगातार आयोजित होते रहना चाहिए जिससे जिले मे संगठन के उद्देश्य से लोग परिचित होंगे और जिले मे जागरूकता आएगा इसके साथ ही जिला भी संगठित होगा ll सभी को समाज मे जिम्मेदारी लेना है इस समाज को बचाना है धर्म परिवर्तन नहीं करना है क्योंकि परमात्मा एक है सभी समस्या का समाधान हमारे विश्वास पर है हमारे कार्यशैली पर है ll यदि  हम  लोग अपने समाज को नहीं बचाएंगे तो एक दिन ये समाज नहीं रहेगा इसका अस्तित्व ख़त्म हो जायगा और शासन प्रशासन भी इस समाज की ओर ध्यान नहीं देंगे ll समाज मे शिक्षा पर पहल करना है शिक्षा के लिए सहयोग करना है ll समाज को नशा मुक्त समाज बनाना है समाज मे कोई भी मांस मदिरा का मांग ना करें ये हर संभव प्रयास करना होगा तभी समाज आगे आएगा ll
अन्नू अगरिया जी एवं हरी प्रसाद अगरिया जी एवं उनकी पूरी टीम मे मिलकर समाज की बैठक रखे और संगठन के उद्देश्य से लोगो को अवगत कराये और संगठन के साथ सभी को जुड़कर मजबूती से समाज के उत्थान विकास पर  कार्य करने की बात कहे ll

अगरिया समाज संगठन भारत को यू ट्यूब पर देखने के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करें और चैनल को सब्सक्राइब करें ll

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए थे। उन्होंने आपस  कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई

agariya kaoun haiअगरिया कौन है

  अगरिया मध्य भारत के वे आदिवासी समुदाय है जो लोहा गलाने यानि की लौह प्रगलक का कार्य करते है उनका मुख्य व्यवसाय लोहे से जुड़ा होता है अगरिया अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते है। अगरिया समुदाय पत्थर से लोहा गलाते है लेकिन वर्तमान  में पत्थर पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया  है जिससे उनका व्यवसाय काफी प्रभावित है। अतः अगर वर्तमान की बात करे तो अगरिया समुदाय इस समय अपने क्षेत्र में जिस ग्राम या परिवेश में रह रहे है वही के लोगो का उपयोग की सामग्री बनाकर उनको देते है तथा अपने किसानो का (जिनके ऊपर वे आश्रित है ) समबन्धी समस्तलोहे का कार्य करते है एवं अपने मेहनत का पैसा या खाद्यान्न लेकर अपने एवं अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। अगरिया समुदाय की पहचान अभी भी कई जगह में एक समस्या है है कई जगह उनको गोंड भी कह दिया जाता है ,लेकिन ऐसा कहना किस हद तक सही है पर  ,हां अगरिया को गोंडो का लोहार जरूर कहा जाता है लेकिन वास्तव में में अगरिया गोंड नहीं है बल्कि  गोंडो की उपजाति है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है लेकिन अगरिया क्

अगरिया गोत्र agariya gotra

  अगरिया समाज गोत्र  अगरिया समाज  आदिम मानव काल की प्रजाति है जो प्राचीन काल से  लौह  का प्रगलन करते आया है आज भी अगरिया आदिवासी समुदाय लोहे का व्यवसाय अपनाया हुआ है जो अगरिया आदिवासी की मुख्य व्यवसाय है लोहे की सम्मग्री बनाना लोहे के साथ आग पर काम करना आज भी सतत रूप से जारी है।   अगरिया समाज में कई गोत्र है जो कई प्रकार के है नीचे पढ़िए अगरिया समाज का सम्पूर्ण गोत्रावली  सोनवानी , सनवान ,सोनहा , 2 -अहिंदा , अहिंदवार , अहिंधा 3-चिरई , छोटे चिरई  4 -रन चिरई  5 -मराई ,मरावी ,मरई (7 देवता ) 6 -गैंट ,कांदा ,बेसरा  7 -पोर्ते ,पोरे  8 -टेकाम                ९ -मरकाम    10 - धुर्वे , कछुआ ,धुरवा     11-गुइडार ,गोहरियार ,गोयरार    12 -गिधली , गिधरी   13 - नाग   14 -परसा   15 -गढ़कू ,गोरकु   16 - बरंगिया , बरगवार                                    17 -कोइलियासी   18 -बाघ ,बघेल   19 -खुसरो ,खुसर   20 -मसराम  21 -पन्द्रो   22 -परतेती 23 -पोट्टा   24 -श्याम (7 देवता )  25 -तिलाम   26 -कोरचो   27-नेताम (4 देवता )  28 -भैरत ,भरेवा ,भवानर        29 -दूधकावर  30-कुमुन्जनि ,मुंजनी ,मुंजना (वृक्ष )  31 -मह