बिहार मे भी लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन पंहुचा ll शीघ्र राष्ट्रीय संघ की मीटिंग आयोजित होंगी ll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जनजाति समाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम सम्पन्न हुआ 15.11.2024 को लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस ll

अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का संस्था लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस 15.11.2024 को कोतमा कुशा भाऊ ठाकरे मंगल भवन मे सम्पन्न हुआ ll कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया समाज के बच्चे एवं बच्चियों ने बहुत ही सुन्दर आदिवासी गाने एवं अगरिया समाज गीत पर नृत्य प्रस्तुत किये ll  संस्था के फाउंडर श्री दशरथ प्रसाद अगरिया द्वारा बताया गया की संस्था का मुख्य उद्देश्य अगरिया जनजाति के स्तर को , आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्तर से मजबूत बनाना है ll अगरिया जनजाति समाज बहुत ही पिछड़ा समाज है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है इस जनजाति समाज के लोग ना तो नौकरी मे है ना ही शिक्षित है और ना ही व्यवसायिक है ll बताया गया की अगरिया जनजाति समाज के लोग पूर्व प्राचीन समय मे जंगलो मे निवास करते थे जहा वो लोहा बनाने (गलाने) का काम करते थे ll अगरिया जनजाति ही वो समाज है जिसने सर्वप्रथम लौह अयस्क(लौह पत्थर) की पहचान किया और पारम्परिक भट्टी मे लौह अयस्क को गलाकर लोहा जैसे चमत्कारिक धातु को बनाया और देश दुनिया समाज को लोहा से अवगत कराया , यानि लोहा बनाने की संस्कृति

बिहार मे भी लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन पंहुचा ll शीघ्र राष्ट्रीय संघ की मीटिंग आयोजित होंगी ll

बिहार मे भी लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन पंहुचा ll
#अगरियासमाजजोड़ोअभियान 


आपको जैसा की विदित हैं लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन जो की सम्पूर्ण भारत स्तर पर अगरिया समाज का एक मंच तैयार कर रहा हैं जिसके लिए संगठन द्वारा "अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम " के तहत लगातार राज्य राज्य, जिला जिला, गांव गांव संगठन पहुंच कर अगरिया समाज जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर रहा हैं और समाज को सभी राज्यों मे जिलेवार संगठित कर रहा हैं ll आपको बताना चाहेंगे बीते दिनों पूर्व 5 फ़रवरी को उत्तरप्रदेश का सोनभद्र जिला मे संगठन की ओर से अगरिया समाज जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन संगठन मार्गदर्शन मे हुआ था जहा मुख्य अतिथि के रूप मे राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जी एवं पूरी टीम रामखिलावन अगरिया जी, अन्नू अगरिया जी,सुखित अगरिया जी,  ,पूरासाय अगरिया जी, दुबराज अगरिया जी,का जाना हुआ था ll एवं जिला सिंगरौली मप्र से टीम पहुंची हुई थी ll जहा बहुत ही अच्छा कार्यक्रम हुआ था ll उस कार्यक्रम मे बिहार से अगरिया समाज के स्वजातीय बंधु एवं माताए बहने कार्यक्रम मे. उपस्थित रहे - रामकेवल अगरिया जी, चन्द्रिका अगरिया जी, रामचेला अगरिया, लाल साहब अगरिया जी, हरिलाल अगरिया जी एवं कई स्वजातीय बंधु उपस्थित रहे ll कार्यक्रम के पश्चात राष्ट्रीय संचालक दशरथ अगरिया जी द्वारा बिहार के स्वजातीय बंधुओ से खास बातचीत किये बैठक हुआ जहा बातचीत के दौरान संगठन के समस्त उद्देश्य को एवं समाज के उत्थान विकास मिलकर कार्य करने एवं अगरिया समाज के अस्तित्व एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए तथा समाज मे शिक्षा, नशा मुक्त जैसे कई उद्देश्य पर चर्चा किये ll एवं बिहार के स्वजातीय बंधुओ का मोबाइल नम्बर लेकर राष्ट्रीय व्हाट्सप्प ग्रुप से जोड़कर चर्चा परिचर्चा किया गया जिससे प्रेरित होकर अभि बीते कुछ दिनों पूर्व लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के तत्वाधान मे छोटे से मीटिंग का आयोजन बिहार मे हुआ उक्त मीटिंग मे अगरिया समाज संगठन भारत के राष्ट्रीय संचालक को मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित कर बड़े मीटिंग का आयोजन करने और संगठन के साथ जुड़कर संगठन के मार्गदर्शन अनुसार कार्य करने एवं बिहार मे अगरिया समाज को संगठित करने एवं समाज मे शिक्षा, नशामुक्ति सभी मुद्दों पर कार्य करने लिए संगठन का प्रारम्भिक मार्गदर्शन लेने पर बात हुआ ll  बिहार मे बड़े मीटिंग के आयोजन हेतु स्वजातीय बंधुओ द्वारा लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन संचालक  जी से मीटिंग रखने हेतु  दिनांक, तिथि, समय निर्धारित कर अवगत कराने एवं बिहार मे उपस्थित होने का आग्रह किया गया हैं ll संगठन संचालक महोदय द्वारा शीघ्र समय तिथि निर्धारित कर बिहार वासियो को अवगत कराने को कहा गया हैं और उपस्थित होकर संगठन के उद्देश्य अनुसार कैसे कार्य करना हैं अवगत कराने को कहा गया हैं ll
तो इस प्रकार संगठन आज बिहार तक अपनी पहुंच बना चुका हैं ll जिससे संगठन का जो उद्देश्य हैं सम्पूर्ण भारत मे जहा जहा अगरिया समाज निवासरत हैं सभी को एक मंच मे लाने का पूर्ण होता हुआ हैं ll
अगरिया समाज संगठन भारत

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए थे। उन्होंने आपस  कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई

agariya kaoun haiअगरिया कौन है

  अगरिया मध्य भारत के वे आदिवासी समुदाय है जो लोहा गलाने यानि की लौह प्रगलक का कार्य करते है उनका मुख्य व्यवसाय लोहे से जुड़ा होता है अगरिया अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते है। अगरिया समुदाय पत्थर से लोहा गलाते है लेकिन वर्तमान  में पत्थर पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया  है जिससे उनका व्यवसाय काफी प्रभावित है। अतः अगर वर्तमान की बात करे तो अगरिया समुदाय इस समय अपने क्षेत्र में जिस ग्राम या परिवेश में रह रहे है वही के लोगो का उपयोग की सामग्री बनाकर उनको देते है तथा अपने किसानो का (जिनके ऊपर वे आश्रित है ) समबन्धी समस्तलोहे का कार्य करते है एवं अपने मेहनत का पैसा या खाद्यान्न लेकर अपने एवं अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। अगरिया समुदाय की पहचान अभी भी कई जगह में एक समस्या है है कई जगह उनको गोंड भी कह दिया जाता है ,लेकिन ऐसा कहना किस हद तक सही है पर  ,हां अगरिया को गोंडो का लोहार जरूर कहा जाता है लेकिन वास्तव में में अगरिया गोंड नहीं है बल्कि  गोंडो की उपजाति है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है लेकिन अगरिया क्

अगरिया गोत्र agariya gotra

  अगरिया समाज गोत्र  अगरिया समाज  आदिम मानव काल की प्रजाति है जो प्राचीन काल से  लौह  का प्रगलन करते आया है आज भी अगरिया आदिवासी समुदाय लोहे का व्यवसाय अपनाया हुआ है जो अगरिया आदिवासी की मुख्य व्यवसाय है लोहे की सम्मग्री बनाना लोहे के साथ आग पर काम करना आज भी सतत रूप से जारी है।   अगरिया समाज में कई गोत्र है जो कई प्रकार के है नीचे पढ़िए अगरिया समाज का सम्पूर्ण गोत्रावली  सोनवानी , सनवान ,सोनहा , 2 -अहिंदा , अहिंदवार , अहिंधा 3-चिरई , छोटे चिरई  4 -रन चिरई  5 -मराई ,मरावी ,मरई (7 देवता ) 6 -गैंट ,कांदा ,बेसरा  7 -पोर्ते ,पोरे  8 -टेकाम                ९ -मरकाम    10 - धुर्वे , कछुआ ,धुरवा     11-गुइडार ,गोहरियार ,गोयरार    12 -गिधली , गिधरी   13 - नाग   14 -परसा   15 -गढ़कू ,गोरकु   16 - बरंगिया , बरगवार                                    17 -कोइलियासी   18 -बाघ ,बघेल   19 -खुसरो ,खुसर   20 -मसराम  21 -पन्द्रो   22 -परतेती 23 -पोट्टा   24 -श्याम (7 देवता )  25 -तिलाम   26 -कोरचो   27-नेताम (4 देवता )  28 -भैरत ,भरेवा ,भवानर        29 -दूधकावर  30-कुमुन्जनि ,मुंजनी ,मुंजना (वृक्ष )  31 -मह