शहडोल म.प्र मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान अंतर्गत शपथ ग्रहण एवं एजेंडा वाचन कार्यक्रम सम्पन्नll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है ll

अगरिया जनजाति मे लोहा का क्या महत्त्व है 👇 अगरिया जनजाति में लोहा का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह जनजाति मूल रूप से लोहा पर काम करते है और कृषक भी है। लोहा उनकी जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो अगरिया जनजाति में लोहे के महत्त्व को दर्शाती हैं: 1. लोहारी का काम: अगरिया जनजाति के लोग मुख्य रूप से लोहारी का काम करते हैं, जिसमें वे लोहे को पिघलाकर और आकार देकर विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 2. कृषि के लिए लोहे का उपयोग: अगरिया जनजाति के लोग कृषि में भी लोहे का उपयोग करते हैं, जैसे कि हल, कुदाल, और अन्य कृषि उपकरण बनाने में। 3. शस्त्र निर्माण: अगरिया जनजाति के लोग लोहे से शस्त्र भी बनाते हैं, जैसे कि तलवार, भाला, और अन्य हथियार। 4. धार्मिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। 5. सांस्कृतिक महत्त्व: अगरिया जनजाति में लोहे का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि वे लोहे को अपनी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

शहडोल म.प्र मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान अंतर्गत शपथ ग्रहण एवं एजेंडा वाचन कार्यक्रम सम्पन्नll

शहडोल म.प्र मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान अंतर्गत शपथ ग्रहण एवं एजेंडा वाचन कार्यक्रम सम्पन्नll
लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के मार्गदर्शन मे जिला इकाई शहडोल मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान अंतर्गत अगरिया समाज जनजागरूकता अभियान एजेंडा वाचन एवं शपथ ग्रहण कार्यक्रम दिनांक 14/05/2023 को संपन्न हुआ ll उक्त कार्यक्रम संगठन द्वारा नियुक्त नोडल कार्यकर्त्ता अधिकारी श्री विजय अगरिया जी एवं भोला अगरिया जी की उपस्थिति मे संपन्न हुआ ll कार्यक्रम की अगुवाई शहडोल जिलाध्यक्ष श्री रामसरोवर अगरिया, एवं प्रेमकुमार अगरिया, सियाराम अगरिया जी एवं पूरी टीम की अगुवाई मे संपन्न हुआ ll अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास मे संगठन की ओर से प्रत्येक जिलों मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम माह मार्च 2023 से सुरु हैं जो लगातार संगठन अंतर्गत सभी जिलों के बारी बारी से संपन्न कराये जा रहे हैं जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण अगरिया समाज को संगठन से जोड़ना संगठन के उद्देश्य से सम्पूर्ण अगरिया जन समुदाय से अवगत कराना एवं संगठन द्वारा समाज के लिए चलाये जा रहे अभियान से अवगत कराना हैं ll समाज से रूढ़ी वादी विचार धारा को खत्म करना एवं समाज को नये आयाम देना हैं जहाँ समाज मे शिक्षा हो, समाज नशा मुक्त हो, समाज मे दशगात्र सफी प्रथा बंद हो, समाज मे बच्चों को शिक्षा के लिए सहयोग किया जाय, समाज मे ऐसे बच्चे जो 8वी,10वी,12वी मे 80% से ऊपर अंक अर्जित करते हो उनको पुरुस्कार सहित सम्मानित करना, विवाह सहयोग, एवं विवाह सम्मेलन समाज मे आयोजित कराना ऐसे कई उद्देश्य को लेकर संगठन कार्य कर रहा हैं ll इन सारे उद्देश्यों को माननीय नोडल महोदय द्वारा उपस्थित स्वजातीय बंधुओ को बताया गया ll समाज को एक विचार धारा मे संगठन से मिलकर चलना होगा एक दूसरे का सहयोग करना होगा जिससे समाज मे उत्थान विकास हो सके बताया गया ll कार्यक्रम मे उपस्थित समस्त स्वजातीय बंधुओ ने समाज के उत्थान विकास मे अपने अपने विचार प्रस्तुत किये एवं संगठन से जुड़कर समाज उत्थान विकास मे कार्य करने की समझाइस दिए ll नोडल कार्यकर्त्ता श्री विजय अगरिया द्वारा राष्ट्रीय एजेंडा का बिंदुवार विश्लेषण करते हुए सभी उपस्थित स्वजातीय बंधुओ को बताएँ ll तथा श्री बीरबल अगरिया सीधी जिला कार्यकर्त्ता द्वारा समाज मे शिक्षा  एवं समाज से नशा पान लेन देन को बंद करने पर चर्चा किये ll कार्यक्रम के अंत मे उपस्थित समस्त स्वजातीय बंधुओ माताओ बहनो को शपथ ग्रहण कराया गया एवं कार्यक्रम का समापन किया गया ll कार्यक्रम मे उपस्थित स्वजातीय बंधुओ मे नोडल कार्यकर्त्ता अधिकारी श्री विजय अगरिया एवं भोला अगरिया उमरिया, शहडोल जिलाध्यक्ष रामसरोवर अगरिया, बीरबल अगरिया सीधी, सुखलाल अगरिया सीधी, राजकुमार अगरिया सिंगरौली, दिनेश अगरिया शहडोल, मुकेश अगरिया, सियाराम अगरिया, प्रेम कुमार अगरिया शहडोल , मुकेश अगरिया उमरिया, रामरतन अगरिया उमरिया, सहित कई स्वजातीय बंधु माताए बहने कार्यक्रम मे उपस्थित रहे ll
यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन की गतिविधि को देखने के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करें और चैनल को सब्सक्राइब करके जुड़े ll

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए थे। उन्होंने आपस  कर ली लोगुन्दी राजा के अपने एक बेटा बेटी थे। ें लोगो ने हल्दी बोई

agariya kaoun haiअगरिया कौन है

  अगरिया मध्य भारत के वे आदिवासी समुदाय है जो लोहा गलाने यानि की लौह प्रगलक का कार्य करते है उनका मुख्य व्यवसाय लोहे से जुड़ा होता है अगरिया अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते है। अगरिया समुदाय पत्थर से लोहा गलाते है लेकिन वर्तमान  में पत्थर पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया  है जिससे उनका व्यवसाय काफी प्रभावित है। अतः अगर वर्तमान की बात करे तो अगरिया समुदाय इस समय अपने क्षेत्र में जिस ग्राम या परिवेश में रह रहे है वही के लोगो का उपयोग की सामग्री बनाकर उनको देते है तथा अपने किसानो का (जिनके ऊपर वे आश्रित है ) समबन्धी समस्तलोहे का कार्य करते है एवं अपने मेहनत का पैसा या खाद्यान्न लेकर अपने एवं अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। अगरिया समुदाय की पहचान अभी भी कई जगह में एक समस्या है है कई जगह उनको गोंड भी कह दिया जाता है ,लेकिन ऐसा कहना किस हद तक सही है पर  ,हां अगरिया को गोंडो का लोहार जरूर कहा जाता है लेकिन वास्तव में में अगरिया गोंड नहीं है बल्कि  गोंडो की उपजाति है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है लेकिन अगरिया क्

अगरिया गोत्र agariya gotra

  अगरिया समाज गोत्र  अगरिया समाज  आदिम मानव काल की प्रजाति है जो प्राचीन काल से  लौह  का प्रगलन करते आया है आज भी अगरिया आदिवासी समुदाय लोहे का व्यवसाय अपनाया हुआ है जो अगरिया आदिवासी की मुख्य व्यवसाय है लोहे की सम्मग्री बनाना लोहे के साथ आग पर काम करना आज भी सतत रूप से जारी है।   अगरिया समाज में कई गोत्र है जो कई प्रकार के है नीचे पढ़िए अगरिया समाज का सम्पूर्ण गोत्रावली  सोनवानी , सनवान ,सोनहा , 2 -अहिंदा , अहिंदवार , अहिंधा 3-चिरई , छोटे चिरई  4 -रन चिरई  5 -मराई ,मरावी ,मरई (7 देवता ) 6 -गैंट ,कांदा ,बेसरा  7 -पोर्ते ,पोरे  8 -टेकाम                ९ -मरकाम    10 - धुर्वे , कछुआ ,धुरवा     11-गुइडार ,गोहरियार ,गोयरार    12 -गिधली , गिधरी   13 - नाग   14 -परसा   15 -गढ़कू ,गोरकु   16 - बरंगिया , बरगवार                                    17 -कोइलियासी   18 -बाघ ,बघेल   19 -खुसरो ,खुसर   20 -मसराम  21 -पन्द्रो   22 -परतेती 23 -पोट्टा   24 -श्याम (7 देवता )  25 -तिलाम   26 -कोरचो   27-नेताम (4 देवता )  28 -भैरत ,भरेवा ,भवानर        29 -दूधकावर  30-कुमुन्जनि ,मुंजनी ,मुंजना (वृक्ष )  31 -मह