अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का संस्था लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस 15.11.2024 को कोतमा कुशा भाऊ ठाकरे मंगल भवन मे सम्पन्न हुआ ll कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया समाज के बच्चे एवं बच्चियों ने बहुत ही सुन्दर आदिवासी गाने एवं अगरिया समाज गीत पर नृत्य प्रस्तुत किये ll संस्था के फाउंडर श्री दशरथ प्रसाद अगरिया द्वारा बताया गया की संस्था का मुख्य उद्देश्य अगरिया जनजाति के स्तर को , आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्तर से मजबूत बनाना है ll अगरिया जनजाति समाज बहुत ही पिछड़ा समाज है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है इस जनजाति समाज के लोग ना तो नौकरी मे है ना ही शिक्षित है और ना ही व्यवसायिक है ll बताया गया की अगरिया जनजाति समाज के लोग पूर्व प्राचीन समय मे जंगलो मे निवास करते थे जहा वो लोहा बनाने (गलाने) का काम करते थे ll अगरिया जनजाति ही वो समाज है जिसने सर्वप्रथम लौह अयस्क(लौह पत्थर) की पहचान किया और पारम्परिक भट्टी मे लौह अयस्क को गलाकर लोहा जैसे चमत्कारिक धातु को बनाया और देश दुनिया समाज को लोहा से अवगत कराया , यानि लोहा बनाने की संस्कृति
अगरिया जनजाति समाज का राष्ट्रीय महासम्मेलन 2023 दिनांक 24/09/2023 को जिला अनूपपुर के कोतमा (कुशा भाऊ ठाकरे मंगल भवन)मे लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन मे नेतृत्व मे संपन्न हुआ ll जहाँ अगरिया अगरिया समाज के राष्ट्रीय स्तर से कई राज्यों से तथा जिलों से कार्यकर्त्ता सम्मिलित हुए ll कार्यक्रम मे भागीदारी सुनिश्चित करने वाले राज्यों मे झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ रहे हैं जहाँ से कार्यक्रम मे सम्मिलित होने वाले जिलों के कार्यकर्त्ताओ मे झारखंड के गढ़वा से, सोनभद्र उत्तरप्रदेश से, कबीरधाम, कोरिया, रायगढ़ छत्तीशगढ़ से एवं मध्यप्रदेश से अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सीधी सिंगरौली, शहडोल जिलों के कार्यकर्त्ता उपस्थित हुए ll संस्था के मैनेजिंग डायरेक्टर दशरथ अगरिया कोतमा ने बताया की अगरिया समाज राष्ट्रीय महासम्मेलन 2023 का उद्देश्य अगरिया जनजाति को संरक्षित करना, अगरिया जनजाति के संस्कृति को संरक्षित करना, अगरिया जनजाति के इतिहास जो की एक वैज्ञानिक इतिहास हैं जिसने इस दुनिया मे सर्वप्रथम लौह अयस्क (लौह पत्थर)की पहचान किया तथा परंपरागत तरीके से अपने संस्क