अगरिया जनजाति समाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम सम्पन्न हुआ 15.11.2024 को लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस ll सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सीधी मध्यप्रदेश के ग्राम सोनगढ़ मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान संपन्न हुआ दिनांक 31/03/2025 को ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन

लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का प्रमुख कार्यक्रम अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम जो फाउंडेशन से जुड़े लगभग सभी राज्यों के जिलों मे प्रति वर्ष माह मार्च - अप्रैल मे संपन्न होता है ll जहाँ लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन की ओर से प्रत्येक जिले के नोडल कार्यकर्ता अधिकारी नियुक्त किये जाते है जो जिलों मे उपस्थित होकर कार्यक्रम को सम्पन्न कराते है ll नियुक्त नोडल द्वारा फाउंडेशन के एजेंडा को विश्लेषण करते हुए उपस्थित सामाजिक स्वजातीय बंधुओ को विधिवत समझाया जाता है और कार्यक्रम के अंत मे उपस्थित स्वजातीय बंधुओ को शपथ ग्रहण करवाया जाता है ll  अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य अगरिया जनजाति जो की आज के इस आधुनिक परिवेश मे भी शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी, सामाजिक रहन सहन मे पिछड़ी जनजाति है जिसके स्तर मे सामाजिक जागरूकता के लिए इस कार्यक्रम को आयोजित कराया जाता है जिससे इस समाज मे जागरूकता आ सके और समाज सशक्त हो सके ll ज़िला सीधी के ग्राम सोनगढ़ मे अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम का आयोजन  दिनांक 31/03/2025 को हुआ ll जहाँ ज़िला सीधी के लिए नियुक्त नोडल...

अगरिया जनजाति समाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम सम्पन्न हुआ 15.11.2024 को लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस ll

अगरिया जनजाति समाज के उत्थान विकास का संस्था लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन का पांचवा स्थापना दिवस 15.11.2024 को कोतमा कुशा भाऊ ठाकरे मंगल भवन मे सम्पन्न हुआ ll कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया समाज के बच्चे एवं बच्चियों ने बहुत ही सुन्दर आदिवासी गाने एवं अगरिया समाज गीत पर नृत्य प्रस्तुत किये ll 
संस्था के फाउंडर श्री दशरथ प्रसाद अगरिया द्वारा बताया गया की संस्था का मुख्य उद्देश्य अगरिया जनजाति के स्तर को , आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्तर से मजबूत बनाना है ll अगरिया जनजाति समाज बहुत ही पिछड़ा समाज है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है इस जनजाति समाज के लोग ना तो नौकरी मे है ना ही शिक्षित है और ना ही व्यवसायिक है ll बताया गया की अगरिया जनजाति समाज के लोग पूर्व प्राचीन समय मे जंगलो मे निवास करते थे जहा वो लोहा बनाने (गलाने) का काम करते थे ll अगरिया जनजाति ही वो समाज है जिसने सर्वप्रथम लौह अयस्क(लौह पत्थर) की पहचान किया और पारम्परिक भट्टी मे लौह अयस्क को गलाकर लोहा जैसे चमत्कारिक धातु को बनाया और देश दुनिया समाज को लोहा से अवगत कराया , यानि लोहा बनाने की संस्कृति को जन्म देने वाली जनजाति अगरिया जनजाति समाज है अर्थात अगरिया जनजाति एक अनपढ़ वैज्ञानिक जनजाति समाज है ll जंगलो मे निवास करने एवं गांव गांव अन्य क्षेत्रो मे घूमने निवास करने के वजह आज इस जनजाति समाज का स्तर काफी न्यून है सामाजिक, आर्थिक एवं व्यवसायिक रूप से ll अगरिया जनजाति के स्तर को बेहतर बनाने नौकरी, शिक्षा, व्यावसायिक स्तर से मजबूत बनाने के लिए अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन की सरकार से मांग है की सरकार अगरिया जनजाति समाज को विशेष पिछड़ी जनजाति मे शामिल करें जिससे इस जनजाति समाज का स्तर भी अन्य समाजो की तरह बेहतर हो सके ll 
लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन के इस पांचवे स्थापना दिवस का उद्देश्य अगरिया जनजाति समाज का संरक्षण करना भी रहा है लोगो को समझाइस दी गयी की धर्म परिवर्तन ना करें क्योंकि अगरिया जनजाति एक वैज्ञानिक जनजाति समाज है अपने सस्कृति एवं अपने समाज का सम्मान करें और अगरिया जनजाति एवं इसकी संस्कृति का संरक्षण करेंll संगठन समाज के लिए अन्य कई कार्य कर रहा जैसे शिक्षा के क्षेत्र मे मदद यदि समाज मे कोई बालक बालिका पढता है और फीस कॉपी बस्ता पुस्तक जैसे किसी चीज की आवश्यकता होती है उस स्थिति मे संगठन बच्चे की हर संभव मदद करता है ll इसके क्षेत्र मे प्रोत्साहन पुरुस्कार भी संगठन द्वारा दिए जाते है जैसे यदि कोई बालक बालिका समाज की अच्छे अंको के साथ कोई भी कक्षा उत्तीर्ण करता है तो बच्चे एवं माता पिता को फाउंडेशन द्वारा कार्यक्रम मे पुरुस्कार के साथ सम्मानित किया जाता है ll इसके साथ ही संगठन द्वारा समाज मे दशगात्र सहयोग भी दिया जाता है यदि समाज की किसी व्यक्ति का आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना हो जाती है उस स्थिति मे भी परिवार को दशगात्र सहयोग प्रदान किया जाता है इसके साथ ही समाज मे विवाह सहयोग एवं इलाज सहयोग, तथा महिलाओ को सम्मान जैसे कई कार्य संगठन द्वारा किया जाता है ll 
कार्यक्रम के दौरान अगरिया जनजाति समाज के इष्ट देवता लोहासुर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया इसके पश्चात आये संगठन के समस्त स्वजातीय बंधुओ एवं पदाधिकारियों द्वारा समाज को एक नयी दिशा कैसे दिया जाए जिसके सम्बन्ध मे अपने अपने उद्बोधन भी दिए ll लौह प्रगलक अगरिया जनजाति भारत फाउंडेशन अगरिया जनजाति समाज का एक राष्ट्रीय संस्था है इसलिए फाउंडेशन द्वारा हर राज्य के जिलों मे जिलाध्यक्ष एवं ज़िला समिति का निर्माण भी कराया गया है जिससे फाउंडेशन की विचार धारा एवं उद्देश्य को समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके और समाज का पुनरनिर्माण हो सके ll 
कार्यक्रम मे फाउंडेशन के ऐसे जिलाध्यक्ष जो पूरे एक साल मे सबसे अच्छा कार्य अपने जिले किये उन जिलों के जिलाध्यक्ष को सम्मानित किया गया इस वर्ष सम्मानित होने वालो मे दो जिले सिंगरौली मध्यप्रदेश और रायगढ़ रहा है जहा के जिलाध्यक्ष श्री राजकुमार अगरिया जी एवं उबरन अगरिया जी रहे है जिनको फाउंडेशन द्वारा शॉल मैडल, प्रमाणपत्र, एवं पुरुस्कार प्रदान किया गया एवं आगामी समाज के उत्थान विकास मे बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ll इसके साथ ही फाउंडेशन द्वारा दो ऐसे कार्यकर्त्ता श्री अमरशाह अगरिया सीधी मध्यप्रदेश एवं दुबराज सिंह अगरिया कोरबा जो पूरे साल बहुत ही अच्छा और सराहनीय कार्य किये उनको बेस्ट कार्यकर्त्ता सम्मान दिया गया जिनको साॉल, मैडल, प्रमाण पत्र, पुरुस्कार के साथ प्रदान किया गया ll कार्यक्रम के दौरान एक बालिका को मेधावी पुरुस्कार के साथ बच्ची एवं माता - पिता को मंच मे सम्मानित किया गया ll बच्ची का नाम अर्पिता अगरिया जो ज़िला अनूपपुर मध्यप्रदेश कोतमा की निवासी है जो क्लास 2 मे 98 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण हुई थी जिसको संगठन द्वारा बैग, कॉपी, पेन पेंसिल, बॉटल, कलर जैसे सामग्री के साथ बच्ची एवं माता पिता को फूल माला पहनाकर मंच मे सम्मानित किया गया और आगामी भविष्य के लिए शुभकामनायें दी गयी ll कार्यक्रम के दौरान ज़िला कोरिया छत्तीसगढ़ के एक सज्जन श्री सुखित लाल अगरिया जो की ग्रामपंचायत सरपंच है समाज के उत्थान विकास मे संगठन को 10000 का डोनेशन दिए जिनको पुरुस्कार एवं प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया गया इसके साथ मे संगठन को अपने जिले से सबसे ज्यादा अंश दान करवाने वाले जिले के जिलाध्यक्ष श्री दुबराज सिंह अगरिया कोरबा को प्रमाण पत्र और पुरुस्कार के साथ मंच मे सम्मानित किया गया ll फाउंडेशन के कई ऐसे कार्यकर्ता जो फाउंडेशन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है नोडल कार्यकर्त्ता के रूप मे जो अन्य जिलों मे जाकर अगरिया समाज जोड़ो अभियान कार्यक्रम को सम्पन्न कराते है उनको एवं कार्यक्रम मे आये सभी बच्चियों जिन्होंने संस्कृतिक कार्यक्रम मे हिस्सा लिया तथा सभी जिलाध्यक्षओं को मैडल, डायरी, पेन, टिफिन बॉक्स देकर सम्मानित किया गया ll 
कार्यक्रम मे कई राज्यों के जिलों से उपस्थिति रही मध्यप्रदेश मे अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सीधी, सिंगरौली, छत्तीसगढ़ मे कोरिया, कोरबा, कबीरधाम, सूरजपुर रायगढ़ से जहा से कुछ कार्यकर्त्ताओं के नाम दशरथ प्रसाद अगरिया (फाउंडर), रामखिलावन अगरिया डायरेक्टर,अन्नू अगरिया डायरेक्टर, सुकुल नागवंशी, सुखित लाल अगरिया, सुखलाल अगरिया, राजकुमार अगरिया, अमरशाह अगरिया, गनपत अगरिया, प्रेमकुमार अगरिया, विजय अगरिया, रामरतन अगरिया, गयादीन अगरिया, भोला अगरिया, उबरन अगरिया, जीवन अगरिया, रामदयाल अगरिया, मनोज अगरिया, गजपति अगरिया, लल्लू अगरिया, अर्जुन अगरिया, होरिलाल अगरिया, अर्जुन अगरिया, बुद्धूराम अगरिया, महिपाल अगरिया, माखन लाल अगरिया, गोरेलाल अगरिया, मायाराम अगरिया, मिस बुद्धवती अगरिया झारखण्ड से शिवशंकर अगरिया जी सहित कई राज्यों जिलों से स्वजातीय बंधु माताए बहने कार्यक्रम मे उपस्थित रहे ll 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद एवं गोरकु गोत्र की कहानी

सोनवानी गोत्र ,केरकेता ,बघेल ,अइंद  एवं गोरकु   गोत्र की कहानी एवं इससे जुड़े कुछ किवदंती को आइये जानने का प्रयास करते है। जो अगरिया जनजाति  के  गोत्र  है।  किवदंतियो को पूर्व में कई इतिहास कारो द्वारा लेख किया गया है जिसको आज मै  पुनः आप सभी के समक्ष रखने का  हु। तो आइये जानते है -  लोगुंडी राजा के पास बहुत सारे पालतू जानवर थे। उनके पास एक जोड़ी केरकेटा पक्षी ,एक जोड़ी जंगली कुत्ते तथा एक जोड़ी बाघ थे। एक दिन जंगली कुत्तो से एक लड़का और लड़की पैदा हुए। शेरो ने भी एक लड़का और लड़की को  जन्म दिया। केरकेटा पक्षी के जोड़ो ने दो अंडे सेये और  उनमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। एक दिन लोगुंडि राजा मछली का शिकार करने गया तथा उन्हें एक ईल मछली मिली और वे उसे घर ले आये। उस मछली को पकाने से पहले उन्होंने उसे काटा तो उसमे से भी एक लड़का और लड़की निकले। उसके कुछ दिनों बाद सारे पालतू जानवर मर गए सिर्फ उनके बच्चे बचे। उन बच्चो को केरकेता ,बघेल, सोनवानी तथा अइंद गोत्र  जो क्रमश पक्षी ,बाघ ,जंगली कुत्ते ,तथा ईल मछली से पैदा  हुए ...

मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी

  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति एवं अगरिया जनजाति के बारे में जानकारी  1 -अगरिया जनजाति की मध्य प्रदेश में जनसँख्या-  मध्य प्रदेश में अगरिया जनजाति की जनसँख्या लगभग 41243 है जो प्रदेश की कुल जनसँख्या का 0.057  प्रतिशत है।   2 -अगरिया निवास क्षेत्र -अगरिया वैसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में पाए जाते है पर मुख्यतः अधिक संख्या में अनूपपुर ,शहडोल उमरिया ,कटनी ,मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,सिंगरौली में मुख्यतः पाए जाते है।  3 -अगरिया गोत्र -अगरिया जनजाति में कुल 89 गोत्र पाए जाते है। (सम्पूर्ण गोत्र की जानकारी के लिए यू ट्यूब पर अगरिया समाज संगठन भारत सर्च करे और विडिओ देखे )(विडिओ देखने के लिए लिंक पर क्लीक करे - https://youtu.be/D5RSMaLql1M   )जिनमे से कुछ  प्रमुख गोत्र है सोनवानी ,अहिंद ,धुर्वे ,मरकाम ,टेकाम ,चिरई ,नाग ,तिलाम ,उइके,बघेल  आदि है प्रत्येक गोत्र में टोटम पाए जाते है। एवं अगरिया जनजाति का प्रत्येक गोत्र प्राकृतिक से लिया गया है अर्थात पेड़ पौधे ,जीव जंतु से ही लिया गया है। उदाहरण के लिए जैसे बघेल गोत्र बाघ से लिया गया है।  4-...

agariya kaoun haiअगरिया कौन है

  अगरिया मध्य भारत के वे आदिवासी समुदाय है जो लोहा गलाने यानि की लौह प्रगलक का कार्य करते है उनका मुख्य व्यवसाय लोहे से जुड़ा होता है अगरिया अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते है। अगरिया समुदाय पत्थर से लोहा गलाते है लेकिन वर्तमान  में पत्थर पर सरकार द्वारा रोक लगाया गया  है जिससे उनका व्यवसाय काफी प्रभावित है। अतः अगर वर्तमान की बात करे तो अगरिया समुदाय इस समय अपने क्षेत्र में जिस ग्राम या परिवेश में रह रहे है वही के लोगो का उपयोग की सामग्री बनाकर उनको देते है तथा अपने किसानो का (जिनके ऊपर वे आश्रित है ) समबन्धी समस्तलोहे का कार्य करते है एवं अपने मेहनत का पैसा या खाद्यान्न लेकर अपने एवं अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे है। अगरिया समुदाय की पहचान अभी भी कई जगह में एक समस्या है है कई जगह उनको गोंड भी कह दिया जाता है ,लेकिन ऐसा कहना किस हद तक सही है पर  ,हां अगरिया को गोंडो का लोहार जरूर कहा जाता है लेकिन वास्तव में में अगरिया गोंड नहीं है बल्कि  गोंडो की उपजाति है। अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग है जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत...